Wednesday, February 26, 2014

मोदी का मिशन 26



बीजेपी लोक सभा चुनाव के लिए 272+ के मिशन के साथ मैदान में उतरी है। यानी अपने बूते लोक सभा में बहुमत पाने का लक्ष्य। 1984 के चुनाव के बाद से किसी एक दल को लोक सभा में बहुमत नहीं मिला है। इसीलिए इस लक्ष्य को अगर असंभव नहीं तो बेहद कठिन ज़रूर माना जा रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भी बीजेपी 182 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई थी। ऐसे में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने एक बेहद कठिन लक्ष्य निर्धारित किया है।
लेकिन मोदी इस बड़े लक्ष्य के साथ एक छोटे मगर महत्वपूर्ण लक्ष्य के लिए भी काम कर रहे हैं। ये है मिशन 26 यानी गुजरात की सभी 26 लोक सभा सीटों को बीजेपी के खाते में डालना। अगर सितंबर 1996 से मार्च 1998 तक की अवधि छोड़ दें, तो गुजरात में बीजेपी मार्च 1995 से ही सत्ता में है। उत्तर भारत की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी के लिए ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। नरेंद्र मोदी सात अक्तूबर 2001 से लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
गुजरात दंगों के बाद से नरेंद्र मोदी गुजराती अस्मिता की बात करते रहे हैं। उनका कोई भी बयान पहले पाँच करोड़ गुजराती और अब छह करोड़ गुजरातियों का जिक्र किए बिना पूरा नहीं होता है। अब इसी गुजराती अस्मिता को मोदी नए ढंग से परिभाषित करने में लगे हैं। यानी किसी गुजराती का देश का प्रधानमंत्री बनना।
इसी गुजराती अस्मिता को राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ पेश किया है। वो कहते रहे हैं कि सरदार पटेल के साथ अन्याय हुआ क्योंकि भारत के स्वतंत्र होने के बाद सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनना था। लेकिन उनकी जगह जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनवाया गया। मोरारजी देसाई ज़रूर ऐसे गुजराती थे जो दो साल तक प्रधानमंत्री रहे। लेकिन जनता पार्टी के अंदरूनी मतभेदों के चलते उन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका नहीं मिला।
2007 के गुजरात विधानसभा चुनावों के वक्त बीजेपी ने आनन-फानन में लाल कृष्ण आडवाणी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। इस दलील के साथ कि लोक सभा में गुजरात का प्रतिनिधित्व करने वाले एक नेता को पीएम उम्मीदवार घोषित करने से विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा होगा। हालांकि कुछ पार्टी नेता दबी जुबान में कहते हैं कि असली मकसद ये था कि कहीं 2007 के चुनाव में जीतने के बाद नरेंद्र मोदी पीएम पद के दावेदार न हो जाएं। इसके बावजूद 2009 के लोक सभा चुनाव में गुजरात में बीजेपी 26 में से सिर्फ 15 सीटें ही जीत पाई थी।
2012 के विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन के हिसाब से बीजेपी 22 लोक सभा सीटें जीतने की स्थिति में है। थोड़ा और ज़ोर लगाने से बीजेपी पाटन, दाहोद और बनासकांठा सीटें भी जीत कर ये आंकड़ा 25 तक पहुँचा सकती है। पार्टी इन्हीं कोशिशों में लगी है। मोदी से बगावत कर अलग पार्टी बनाने वाले केशूभाई पटेल की गुजरात परिवर्तन पार्टी का बीजेपी में विलय हो गया है। सोमवार को ही दो और कांग्रेसी विधायक ने विधानसभा से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया। पिछले एक साल में सात कांग्रेस विधायक और एक सांसद बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।
व्यक्तिगत तौर पर नरेंद्र मोदी के लिए ये जरूरी है कि बीजेपी गुजरात में अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करे। वो खुद भी गुजरात से ही लोक सभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं। संभावना है कि वो अहमदाबाद पूर्व या फिर वडोदरा से लोक सभा का चुनाव लड़ें। ज़ाहिर है मोदी के लिए मिशन 272+ की ही तरह गुजरात का मिशन 26 भी बेहद महत्वपूर्ण है।





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