Sunday, April 20, 2014

बिहटा 7.86



पटना पीछे छूट गया है। गाड़ी तेज़ी से बनारस की ओर भाग रही है। सड़क के दोनों ओर खेतों की हरियाली अब सोने में बदल चुकी है। गेहूं कटने लगा है। कई खेतों में कटाई के बाद ढेर लगा है। कुछ जगह अब भी कटाई का इंतज़ार है। सड़कों पर खाद के बोरों से लदे ट्रैक्टर-ट्राली दिखते हैं। ड्राइवर मंटू कुमार बताते हैं अब धान की तैयारी है। 

पहले बीज तैयार होंगे। एक कठ्ठा में दो बीघा खेत के लिए बीज लगाए जाएँगे। क़रीब पंद्रह दिन में तैयार हो जाएगी एक फ़ीट की पौध। उखाड़ कर खेत में रोपे जाएँगे। क़रीब एक फ़ीट पानी चाहिए। अभी ट्यूबवेल से काम चलेगा। फिर रहेगा बारिश का इंतज़ार जो जून के अंत में आएगी। 

बिहटा अभी दूर है। ठीक-ठीक कहें तो 7.86 किलोमीटर दूर। महमूदपुर में लगा ये मील पत्थर बरबस अपनी ओर ध्यान खींच लेता है। दूरी का इतना सटीक आँकड़ा शायद ही किसी दूसरे राज्य में सड़कों पर लिखा हो। बिहार में सड़कों पर दूरियाँ दशमलव के दाईं ओर भी दो अंकों में लिखने का प्रचलन है।

इसी मील पत्थर के सामने अजित अपनी झोंपड़ी के बाहर लकड़ी के पलंग पर लगी प्लस्टिक की चादर को पानी से साफ़ कर रहे हैं। पूछने पर बताते हैं मुशहर जाति के हैं। कमर के ऊपर कुछ नहीं पहना है। कहते हैं नीतीश, लालू, मोदी सबका नाम सुना है। कौन ज़्यादा पसंद है? इस पर चुप हो जाते हैं। पीछे चौखट पर दूधमुंहे बच्चे को गोदी में लिए बैठी उनकी पत्नी मुस्कुराती रहती हैं।

गाड़ी आगे निकलती है। गुप्त रोगों का शर्तिया इलाज करने का दावा कर रहे हैं हकीम एस समीर। दीवार पर ही धातु रोग का भी इलाज हो रहा है। उनसे टक्कर लेता सीमेंट का इश्तिहार। पढ़ना शुरू ही करते हैं कि कोक पीने का निमंत्रण भी मिल जाता है। खेतों में पसरी काग़ज़ मिल चिमनी से धुँआँ उगल रही है। ये शायद नीतीश कुमार के नए बिहार का इश्तिहार है।

सियासत की बात शुरू होते ही बिहटा 7.86 मील पत्थर फिर ज़हन में आ जाता है। 786- भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानों के लिए एक पवित्र अंक बिसमिल्ला ए रहमान ए रहीम। 


ध्यान जाता है बिहार में मुस्लिम वोटों  के लिए मची होड़ की तरफ़। बगल में पड़े अख़बार में मोदी के हवाले से सुर्खी है- बिहार में बीजेपी विरोधी नापाक गठबंधन। किशनगंज में कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार के समर्थन में जेडीयू के मुस्लिम उम्मीदवार का मैदान से हटना। मोदी इस पर निशाना साध रहे हैं। बगल में गिरिराज सिंह का विवादास्पद बयान उनका मुँह चिढ़ा रहा है जिसमें वो कहते हैं जो मोदी का विरोध कर रहे हैं वो पाकिस्तान चले जाएँ।

राज्य में तीसरे दौर के मतदान से पहले मुस्लिम वोटों का लालू प्रसाद के पीछे लामबंद होना बीजेपी के लिए परेशानी पैदा कर रहा है। जिस जवाबी हिंदू ध्रुवीकरण के उसे उम्मीद थी, वैसा नहीं हो पा रहा क्योंकि जहाँ यादव लालू के पीछे चट्टान की तरह खड़े हैं वहीं कई ग़ैर यादव पिछड़े उम्मीदवार की जाति देख कर पसंद तय कर रहे हैं। अगड़े पूरी तरह से मोदी के पक्ष में आ गए हैं। रामविलास पासवान से हुए गठबंधन का फ़ायदा बीजेपी-एलजेपी दोनों को मिल रहा है। नरेंद्र मोदी के नाम का फ़ायदा पहले दो दौर के मतदान में बीजेपी को मिला है।

नीतीश कुमार का डिब्बा गोल हो गया है। मोदी को रोकने की कोशिश में शायद स्थानीय स्तर पर कोशिश है कि मुस्लिम वोट न बंटे। सारण में जेडीयू का मुस्लिम उम्मीदवार निष्क्रिय है ताकि क़रीब एक लाख मुस्लिम न बँटे और राबड़ी देवी को मिल सकें। लेकिन मोदी को रोकने के चक्कर में नीतीश अपने पुराने विरोधी लालू प्रसाद को दोबारा मज़बूत करते दिख रहे हैं। शायद इस उम्मीद में कि लालू के उभार से आशंकित अगड़े विधानसभा चुनाव में बीजेपी को छोड़ उनके साथ आ सकें। 

राजनीति में जो दिखता है, वैसा होता नहीं। जो होता है, वो होने के बाद दिखता है। बिहार में कुछ-कुछ ऐसा ही हो रहा है। नीतीश पीछे हैं इस पर सब सहमत हैं। बीजेपी-पासवान आगे हैं, ये भी कई लोग मानते हैं। पर लालू कहाँ से शुरू करेंगे और कहाँ रुकेंगे, इस पर अभी आम राय नहीं है। 

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